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हूँ मैं चंचल सी नारी पिया

#लेखनी दैनिक प्रतियोगिता



ओ साथी मेरे जीवन के

कभी शब्द पढ़ो मेरे नैनन के

खनखन खनखन कंगन खनके
पायल छनछन छनछन छनके
चमके मेरे माथे की बिंदिया
हूँ मैं चंचल सी नारी पिया

संग बीते बरस सोलह साजन
फिर भी तुम्हे देख बढ़े धड़कन
मै तुमपे वारी वारी पिया
हूँ मैं चंचल सी नारी पिया

तुम हरदम चुपचुप रहते हो
बातें दिल की नही कहते हो
अजी मैं तो तुमसे हारी पिया
हूँ मैं चंचल सी नारी पिया

घर से बाहर जब होते तुम
जाने क्यूं रहती मैं गुमसुम
लगता नही कहीं मेरा जिया
हूँ मैं चंचल सी नारी पिया

है तुमसे ही सम्मान मेरा
तुम्हारा प्रेम है अभिमान मेरा
है तुमसे यह श्रंगार पिया
हूँ मैं चंचल सी नारी पिया


       प्रीति ताम्रकार
        जबलपुर


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10 Comments

Punam verma

05-May-2022 01:30 PM

Nice

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Abhinav ji

05-May-2022 06:23 AM

Nice👍

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Renu

04-May-2022 11:48 PM

👍👍

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